The NewsRay desk: ” काफल” उत्तराखंड का फल ही नही बल्कि यहां की संस्कृति भी है, यहां इन दिनों काफल की बहार आई हुई है। कहने को यह एक जंगली फल है लेकिन अपने खट्टे-मीठे स्वाद के कारण यह पहाड़ों पर फलों के राजा के रूप में पहचाना जाता है, इस बार का फल की पैदावार काफी अच्छी हुई है लेकिन खराब मौसम और ओलावृष्टि के चलते का फल का स्वाद थोड़ा फीका हुआ है, काफी ठंडी जगह में पैदा होने वाला फल काफल आजकल बाजार में 400 से ₹500 प्रति किलो बिक रहा है,
ये हैं काफल के फायदे : नैनीताल जिले में पहाड़पानी, मुक्तेश्वर, ओखलकांडा में काफल का इस बार उत्पादन बहुत अच्छा है… काफल को बहुत पहले से ही सरंक्षित करने की मांग उठ रही है क्योंकी यह औषधीय फल है, उत्तराखंड से बाहर इसकी बहुत डिमांड भी है, जंगल में पाए जाने वाले काफल में एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण मनुष्य के शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है और फल अत्यधिक रस-युक्त और पाचक होता है, जिसको डॉक्टर अक्सर प्रयोग करने की सलाह भी देते हैं, इस बार अच्छी बात यह रही की इस बार जंगल आग से बच गये इसलिए काफल की पैदावार अच्छी रही लेकिन ओलावृष्टि और खराब मौसम के चलते का फल का स्वाद थोड़ा फीका रह गया है…..
काफल रोजगार का जरिया भी : काफल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का जरिया भी हैं, स्थानीय लोग काफल को पेड़ से तोड़कर मंडी तक लाते हैं, काफल बाजार मे अभी 300 से 400 रूपये प्रति किलो बिक रहा हैं, अल्मोड़ा के लमगड़ा, नैनीताल जिले मुकतेश्वर और ओखलकांडा और पहाड़पानी से आया काफल हल्द्वानी मे बड़ी मात्रा मे बिक रहा हैं,