कपड़ो में अभी तक आपने केमिकल वाले रंगो का इस्तेमाल होते देखा है, लेकिन यदि आपसे यह कहा जाय की अब आप प्राकृतिक रंगों से रंगे हुए कपड़ों का इस्तेमाल कर सकते हैं तो यह थोड़ा आश्चर्यजनक होगा लेकिन अब यह संभव हो रहा है जिसे बॉटनिकल प्रिंटिंग कहा जाता है…

Botnical printing…

हर पत्ते का अलग अलग आता है कलर :

प्राकृतिक रंगों का मतलब है की प्रकृति में जितने भी पेड़ पौधे हैं उनकी पत्तियां, उनकी छाल और उनक़े फूलों को कपड़ों में प्रिंट किया जाता है जिनका अलग-अलग कपड़ों में अलग-अलग कलर जाता है और कपड़ों पर खूब फबता भी है, कई पत्तों में तो कलर दोनों साइड का अलग अलग होता है, हर पत्ता अलग-अलग सीजन में अलग-अलग कलर और अलग-अलग साइज का भी हो सकता है,

पर्यावरण के लिहाज से सबसे बेहतर है बॉटनिकल प्रिंटिंग

प्राकृतिक रंगों का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि एक तो इससे कपड़ा खराब नहीं होता कपड़े की उम्र बनी रहती है और दूसरे में प्राकृतिक रंग पर्यावरण के लिए घातक नहीं हैं, बताया जा रहा है कि एक शर्ट को शुरुआती दौर से फाइनल स्टेज तक कलर करने में 2700 लीटर पानी खर्च होता है जबकि प्राकृतिक रंगों में ऐसा कुछ भी नहीं है,

इन पत्तियों का सबसे शानदार कलर:

कुछ पत्तों का कलर तो इतना शानदार होता है कि कपड़ों का रंग निखर जाता है, जिनमें बांज (quercus leucotricophora), सिल्वर ओक, टिक, सेब, हिसालू और किल्मोड़ा शामिल हैं, फलों में अनार का कलर भी कपड़ों में खूब निखरता है…. कपड़ों को प्राकृतिक रंगों से रंग देने में खर्चा कुछ भी नहीं है, केवल कपड़े का ही खर्च है, लेकिन प्रक्रिया काफी लंबी है एक कपड़े को प्राकृतिक रंगों से गिरने में करीब ढाई दिन का समय लग जाता है…..

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