हल्द्वानी/नैनीताल/अल्मोड़ा: ये सच है की अपनी संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए त्योहारों का बड़ा महत्व है। कुमाऊँ में होली भी इसी परम्परा का हिस्सा बन रही है जहां होली की छटा अपनी सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ी में पहुंचा रही है…कुमाऊं में होली अभी से अपने चरम पर है, हर तरफ होली की धूम है,कुमाऊँ में बैठकी होली प्रसिद्ध है लेकिन यहां खड़ी होली का भी जबाब नही, रंगों से सरोबार महिलाएँ होली गाने में मस्त है, जगह जगह महिलाओं की टोलियां खड़ी और बैठकी होली के साथ ही स्वांग के जरिये लोगो को सन्देश भी दे रही हैं। हल्द्वानी में आयोजित महिला होली में महिलाओं ने स्वांग के जरिये बेटी बचाओ, स्वच्छता अभियान और शराब को लेकर संदेश दिए, कई जगहों पर महिलाओं ने नेताओं का स्वांग कर समाज में बड़ रहे भ्रष्टाचार पर भी चोट की, दूसरी तरफ होली के परंपरागत गीत जैसे होली खेलें अवध में रघुबीरा…, शिवजी डोल रहे पर्वत पर अपनी गौरा जी के संग…, जल कैसे भरूँ जमुना गहरी के अलावा वृज की होली गाकर मस्ती में झूमती नजर आयीं। होली की परम्परागत परिधान में अबीर, गुलाल लगाई महिलाओं का नृत्य देखते ही बनता है। साथ ही नई पीढ़ी को त्यौहारों के जरिये अपनी उत्तराखण्ड की संस्कृति से जोड़ने का प्रयास किया जाता है। होली हमें अपनी संस्कृति और परंपरा से जोड़े रखती हैं और होली के फिल्मीकरण को रोकने में भी मदद मिलती है, आने वाली पीढ़ी को भी अपनी संस्कृति के बारे में सिखने का मौका मिलता है, यही एक कोशिश भी है की पारंपरिक तरीके से होली मनाने के तरीकों को अपनाया जाए जिससे अपनी संस्कृति को जिंदा रखा जा सके। श्रद्धा तिवारी बताती है कि शिवरात्रि से होली कुमाऊं अपने चरम पर चली जाती है, और कुमाऊं में महिलाओं की बैठकी होली का खासा महत्व है, जिसको लेकर महिलाओं में खासा उत्साह भी नजर आ रहा है…..

होली के रंग, महिलाओं की बैठकी होली
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