नैनीताल: कुछ ऐसा कर बन्दे की नाम हो जाये, खुदा भी तुझ पे मेहरबान हो जाये, मुफलिसों की मदद के लिए दौलत नहीं तो क्या हुआ, इस हौसले से निकल की उनका काम हो जाये… कोटाबाग के रहने वाले युवा शुभम बधानी और उनके सहयोगियों पर सटीक बैठ रही हैं, नैनीताल जिले का सीमान्त गाँव है बाघिनी, कोटाबाग से करीब 35 किलोमीटर दूर, मूलभूत सुविधाओं से वँचित गाँव, कोटाबाग के कुछ युवाओं ने संसाधनों के अभाव में जी रहे बच्चों के लिए घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की, युवाओं की टोली द्वारा बच्चों के लिये सामान्य ज्ञान, प्रेरक कहानियां और नैतिक शिक्षा संबंधी किताबों का इंतजाम किया गया, गाँव में एक घोड़ा मिला जिसे हर छुट्टी के दिन किताबों से सजाकर दूरस्थ गावों तक ले जाया जाता है, बच्चे अपने मन पसंद की किताबें लेते हैँ और एक हफ्ते बाद वापस कर देते हैँ,

बच्चों का है अच्छा रिस्पांस: घोड़ा लाइब्रेरी से जुड़ी वालंटियर ज्योति अधिकारी बताती हैं बच्चे मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पाते, या फिर अधिकतर बच्चों को मोबाइल की लत लग गई है, लिहाजा उनका ध्यान पढ़ाई की तरफ रहे इसको देखते हुए घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की गई, फिलहाल घोड़ा लाइब्रेरी का रिस्पांस अच्छा है और बच्चे घोड़ा लाइब्रेरी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं,

घोड़ा लाइब्रेरी के जरिए दूरस्थ जगहों में बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है, पिछले 4 महीनों से घोड़ा लाइब्रेरी के प्रति बच्चों में जागरूकता आ रही है और उनमे किताबो के प्रति होड़ लगी हुई है, अब तक घोड़ा लाइब्रेरी से 15-20 गावों के करीब 300 से अधिक बच्चे जुड़ चुके हैँ,

घोड़ा लाइब्रेरी ही क्यों: नैनीताल जिले के सीमांत गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, दूरस्थ गांव में जाने के लिए सड़क ठीक नहीं हैं, इन गांव में सिर्फ घोड़े के जरिए ही आवाजाही की जा सकती है जो बच्चों तक पहुंचाने का सबसे सरल और सुविधाजनक रास्ता है,

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