The NewsRay desk: चमोली जिले के गैरसैंण ब्लाक गांव “लखण” आज भी सरकारी अनदेखी का शिकार है, आज भी इस गांव में ना तो सड़क है, ना ही कोई स्कूल, ना ही स्वास्थ्य केंद्र, उत्तराखंड राज्य कठिन को 22 साल पूरे हो गए हैं लेकिन यह गांव उत्तराखंड बनने के बाद से आज भी उपेक्षित है, ग्रामीणों क़ी समस्या यह है कि वह बच्चों को कहां स्कूल पढ़ाएं?
बीमार लोग अपना स्वास्थ्य परीक्षण कहाँ कराएं, रोजगार का इंतजाम कैसे हो, ग्रामीणों की मानें तो उत्तराखंड बनने के बाद से आज तक उनके गांव की सिर्फ उपेक्षा हुई है, कोई भी सरकारी अधिकारी आज तक इस गांव में नहीं पहुंचा, उत्तराखंड में ऐसे और भी कई गांव हैं जो अब मानव विहीन हो चुके हैं।
गांव में इस बार नजर आई चहल-पहल : इस गांव में इस बार गर्मियों की छुट्टी के दौरान चहल-पहल नजर आई, यहां के लोगों ने देवी मंदिर का निर्माण कर गांव में एकजुट होने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली, मुंबई समेत बड़े शहरों से यहाँ पहुंचे लोगों के लिए इस गांव तक पहुंचना आसान नहीं रहा क्योंकि गांव तक पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।
ग्रामीणों ने कहा : अब इस गांव में रहने वाले लोगों ने यह मन बनाया है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का वो बहिष्कार करेंगे, गावँ के लोग जहाँ कहीं भी बसे हैं वो वहां अपने वोट का इस्तेमाल नही करेंगे, यदि लोगों को उनकी मूलभूत सुविधाओं से वंचित किया जाता है तो फिर उन्हें अपना जनप्रतिनिधि चुनने का कोई हक नहीं क्योंकि ग्रामीणों के पास इसके अलावा कोई चारा भी नही,