हल्द्वानी (उत्तराखंड )

हल्द्वानी में दो दिवसीय जोहार महोत्सव की रंगारंग शुरुआत हो गई है, देर रात रंगारंग प्रस्तुतियों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया… दरअसल चीन की सीमा से सटे सीमांत क्षेत्र(मुनस्यारी, मिलम )के जोहार घाटी के रहने वाले के वाशिन्दों द्वारा हल्द्वानी में इस जोहार महोत्सव का आयोजन सन 2010 से कराया जाता है, जोहार घाटी की लोक संस्कृति दर्शाती सुंदर कार्यक्रमों के साथ इस महोत्सव की रंगारंग शुरुआत हुई, इन प्रस्तुतियों ने लोगो का मन मोह लिया, सीमांत क्षेत्र के सरकारी व गैर सरकारी सेवाओं में बड़े बड़े पदों पर आसीन जोहार घाटी के वाशिंदे इस दो दिवसीय जोहार महोत्सव में दूर दूर से शिरकत करने आते हैं इसके अलावा इस महोत्सव में जोहार घाटी की लोक कला हस्तशिल्प कला वह वहां के उत्पादों के स्टॉल भी इस महोत्सव में लगाए गए हैं, उनके मुताबिक जोहर घाटी की संस्कृति को बचाने और उसको सँजोये रखने के लिए इस आयोजन को हर वर्ष किया जाता है,

पद्मश्री बसंती बिष्ट की जागर प्रस्तुति पर दर्शक हुए मंत्रमुग्ध..

पद्मश्री बसंती बिष्ट उत्तराखंड की एक प्रसिद्ध जाग़र लोकगायिका हैं जो उत्तराखण्ड राज्य के घर-घर में गाए जाने वाले मां भगवती नंदा के जागरों के गायन के लिये प्रसिद्ध हैं। भारत सरकार ने 26 जनवरी 2017 को उन्हें पद्मश्री से विभूषित किया है, पद्मश्री बसंती बिष्ट ने जोहार महोत्सव में देर रात अपने जाग़र गायन से दर्शकों का मन मोह लिया….

अपनी संस्कृति को बचाने का किया आह्वान..

पद्मश्री बसंती बिष्ट ने आह्वान किया कि हम अपने गांव घरों में जाकर अपनी संस्कृति को बचाने का प्रयास करें उसे सीखे, समझें और आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति को बचाने के लिए प्रेरित करें, स्थानीय लोगों और जोहार घाटी के लोगों ने देर रात जोहर महोत्सव का जमकर लुत्फ उठाया, जोहार सोसाइटी के लोगों के मुताबिक संस्कृति को आगे बढ़ाने और सँजोये रखने के लिहाज से अच्छी पहल है, उम्मीद ही की जानी चाहिए कि आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति को बचाने के लिए प्रयास करें…..

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