हल्द्वानी(उत्तराखंड)

रामनगर वन प्रभाग के फतेहपुर रेंज में ऑपरेशन बाघ को करीब 9 महीने बाद स्लो डाउन किया जाएगा, हालांकि वन विभाग की गश्त और सर्च अभियान जारी रहेगा, ऐसा कदम इसलिए उठाया जा रहा है कि जून 2022 से लेकर नवंबर 2022 तक बाघ के हमले का कोई भी मामला सामने नहीं आया है….

ये है मामला, 7 लोगों को बाघ ने बनाया था अपना निवाला

दिसंबर 2021 से जून 2022 तक 7 लोगों को अपना निवाला बना चुके बात को लेकर चलाया जा रहा ऑपरेशन बाद अब स्लो डाउन किया जाएगा, ऑपरेशन बाद में अब तक करीब 30 लाख रूपये खर्च हो चुके हैं, रामनगर वन प्रभाग के अलावा अन्य रेंज के अधिकारियों को भी यहां बाघ के सर्च ऑपरेशन में लगाया गया, मुख्य वन संरक्षक से लेकर सीसीएफ कुमाऊ ने इस पूरे ऑपरेशन में अपनी ताकत झोंक दी लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी, लेकिन अब वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त ने मुख्य जीव प्रतिपालक उत्तराखंड को पत्र भेजकर ऑपरेशन बाघ को स्लो डाउन करने की अनुमति मांगी है, हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से सारी टीमें अलर्ट मोड पर रहेंगी और जंगल में लोगों को प्रवेश करने से मना किया जाएगा,

ग्रामीणों ने कहा बाघ का खतरा बरकरार, स्लो डाउन का सवाल ही नहीं उठता….

ऑपरेशन बात को स्लो डाउन करने के मामले पर ग्रामीणों का कहना है कि बाघ के हमले का खतरा लगातार बरकरार है, बाघ के हमले में 7 लोगों की जान जाने क़े बाद ग्रामीण लगातार दहशत में हैं, ग्रामीणों ने दो टूक शब्दों में साफ कहा है कि यदि वन विभाग इस ऑपरेशन को स्लो डाउन करता है और इस दौरान बाघ ने किसी घटना को अंजाम दिया तो इसकी जिम्मेदारी वन विभाग की होगी..

अब तक इस ऑपरेशन में क्या-क्या हुआ:

1: 29 दिसंबर 2021 से 16 जून 2022 तक बाघ ने 7 लोगों को अपना निवाला बनाया

2: 15 मार्च 2022 से फतेहपुर के जंगलों में बाघ की तलाश में कॉर्बेट पार्क से लाये दो हाथी लगाए गये,

3: गुजरात से 30 सदस्य शिकारियों का दल बाघ को ट्रेकलाइट करने फतेहपुर रेंज पहुंचा लेकिन कोई सफलता न मिलने के बाद यह दल वापस हो गया

4: 80 कैमरा ट्रैप, 100 से अधिक वन कर्मियों की मदद सर्च ऑपरेशन में ली गई

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